Namaj Padhne Ka Tarika / नमाज़ का तरीका


✦ नमाज़ का तरीका

नमाज़ या तो 2 रक’आत की होती है, या 3, या 4 रक’आत की। एक रक’आत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते है। नमाज़ का तरीका कुछ इस तरह है –
  1. नमाज़ के लिए क़िबला रुख होकर नमाज़ के इरादे के साथ अल्लाहु अकबर कहें कर (तकबीर ) हाथ बांध लीजिये।
  2. हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए। आपको जो भी सना आता हो वो सना आप पढ़ सकते है। सना के मशहूर अल्फाज़ इस तरह है “सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका” (अर्थात: ए अल्लाह मैं तेरी पाकि बयां करता हु और तेरी तारीफ करता हूँ और तेरा नाम बरकतवाला है, बुलंद है तेरी शान और नहीं है माबूद तेरे सिवा कोई।)
  3. इसके बाद त’अव्वुज पढ़े। त’अव्वुज के अल्फाज़ यह है “अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम।” 
  4. इसके बाद सुरे फातिहा पढ़े।
  5. सुरे फ़ातिहा के बाद कोई एक सूरा और पढ़े।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें।
  7. रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है, “सुबहान रब्बी अल अज़ीम (अर्थात: पाक है मेरा रब अज़मत वाला)
  8. इसके बाद ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदा’ कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये। (अर्थात: अल्लाह ने उसकी सुन ली जिसने उसकी तारीफ की, ऐ हमारे रब तेरे ही लिए तमाम तारीफे है।)
  9. खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द , हम्दन कसीरन मुबारकन फिही’ जरुर कहें।
  10. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें।
  11. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है ‘सुबहान रब्बी अल आला (अर्थात: पाक है मेरा रब बड़ी शान वाला है)
  12. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे से उठकर बैठे।
  13. फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें।
  14. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें, ‘सुबहान रब्बी अल आला’
यह हो गई नमाज़ की एक रक’आत। इसी तरह उठ कर आप दूसरी रक’अत पढ़ सकते हैं। दो रक’आत वाली नमाज़ में सज्दे के बाद तशहुद में बैठिये.
15. तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए। अत्तहिय्यात के अल्लाह के रसूल ने सिखाये हुवे अल्फाज़ यह है,
‘अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नाबिय्यु रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व आला इबादिल्लाहिस सालिहीन अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू’
16. इसके बाद दरूद पढ़े। दरूद के अल्फाज़ यह है,
‘अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद. अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद’
17. इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े। मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो। वो दुआ कुर’आन में से ना हो। साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये। दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए।
18. यह दुआ नमाज़ के आखिर में पढनी चाहिए। ‘अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुका इलमन नाफिया व रिज्क़न तैय्यिबा व अमलम मुतक़ब्बला.’
– जिसका मतलब है, ‘ऐ अल्लाह मैं तुझसे इसे इल्म का सवाल करता हु जो फायदेमंद हो, ऐसे रिज्क़ का सवाल करता हु तो तय्यिब हो और ऐसे अमल का सवाल करता हु जिसे तू कबूल करे.’
19. इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते हैं। ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरें।

✦ तीन रक’आत नमाज़ का तरीका:

दो रक’आत नमाज़ पढने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ ले और फिर तीसरे रक’आत पढ़ें के लिए उठ कर खड़े हो जाये. इस रक’अत में सिर्फ सुरे फातिहा पढ़े और रुकू के बाद दो सज्दे कर के तशहुद में बैठें. तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें।

✦ चार रक’आत नमाज़ का तरीका:

दो रक’आत नमाज़ पढने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ ले और फिर तीसरे रक’अत पढने के लिए उठ कर खड़े हो जाये। इस रक’अत में सिर्फ सुरे फातिहा पढ़े और रुकू के बाद दो सज्दे कर के चौथी रक’आत के लिए खड़े हो जाये। चौथी रक’अत भी वैसे ही पढ़े जैसे तीसरी रक’आत पढ़ी गई है। चौथी रक’अत पढने के बाद तशहुद में बैठें। तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें।

✦ नमाज़ में पढ़ी जाने वाली कुछ सूरतें

सुरः फातिहा:

अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन. अर्रहमान निर्रहीम. मालिकी यौमेद्दीन. इय्याका नाबुदु व इय्याका नस्तईन. इहदिनस सिरातल मुस्तकीम. सिरातल लजिना अन अमता अलैहिम, गैरिल मग्ज़ुबी अलैहिम वला ज़ाल्लिन। 


सुरः इखलास:

कुलहु अल्लाहु अहद. अल्लाहु समद. लम यलिद वलम युअलद. वलम या कुल्लहू कुफुअन अहद। 


सुरः फ़लक:

कुल आउजू बिरब्बिल फ़लक. मिन शर्री मा खलक. मिन शर्री ग़ासिक़ीन इज़ा वक़ब. व मिन शर्री नफ्फासाती फिल उक़द. व मिन शर्री हासिदीन इज़ा हसद। 


सुरः नास:

कुल आउजू बिरब्बिन्नास. मलिकीन्नास. इलाहीन्नास. मिन शर्रिल वसवासील खन्नास. अल्लजी युवसविसू फी सुदुरीन्नास. मिनल जिन्नती वन्नास। 


✦ सलाम फेरने के बाद की दुआएं

सलाम फेरने के बाद आप यह दुआएं पढ़ें।
1. एक बार ऊँची आवाज़ में ‘अल्लाहु अकबर’ कहें
2. फिर तीन बार ‘अस्तगफिरुल्लाह’ कहें
3. एक बार ‘अल्लाहुम्मा अन्तास्सलाम व मिनकस्सलाम तबारकता या जल जलाली वल इकराम’ पढ़े।
4. इसके बार ३३ मर्तबा सुबहान अल्लाह, ३३ मर्तबा अलहम्दु लिल्लाह और ३३ मर्तबा अल्लाहु अकबर पढ़ें।
5. आखिर में एक बार ला इलाहा इल्ललाहु वहदहू ला शरीका लहू लहुल मुल्कू वलहूल हम्दु वहुवा आला कुल्ली शैईन कदीर यह दुआ पढ़े.
6. फिर एक बार अयातुल कुर्सी पढ़ लें।
7. ऊपर बताये गए सुरे इखलास, सुरे फ़लक और सुरे नास एक एक बार पढ़ लें।
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